भाग 17 रचना:बाबुल हक़ अंसारी “खिलाड़ी का खुला पन्ना”नकाब के पीछे…हवा में सन्नाटा और भारी हो गया।नकाबपोश धीरे-धीरे पास आया और ब्रीफ़केस ज़मीन पर रख दिया।उसने नकाब उतारा—रिया और अयान की साँसें थम गईं।वो चेहरा किसी अनजान का नहीं था…बल्कि वही इंसान था जिसने कभी आर्यन के साथ कॉलेज में पढ़ाई की थी— कबीर।आर्यन दहशत से पीछे हट गया—“क-कबीर? तू… यहाँ?”कबीर की आँखों में नफ़रत की लपटें थीं।“हाँ आर्यन… तूने मुझे