दर्द से जीत तक - भाग 5

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जहान की ज़िन्दगी का अब एक ही मक़सद था—पढ़ाई पूरी करना।सुबह खेत का काम,दिन में भाई के साथ हिसाब-किताब,और रात में किताबें।कभी-कभी अक्षर धुंधला जाते,कभी सवाल उलझा देते,तो जहान माथे पर हाथ रख लेता।उसकी आँखों में हार मानने का डर झलकता।पर भाई तुरंत उसके पास बैठ जाता—“घबराना मत बेटा,आज नहीं समझा तो कल समझ जाएगा।तेरी मेहनत कभी बेकार नहीं जाएगी।”एंजल अक्सर ऑफिस से लौटकरउन दोनों को पढ़ते देखती।वो चुपके से मुस्कुराती,कभी जहान की कॉपी में नोट लिख देती—“तुम्हारे सपनों की उड़ान बस शुरू हुई है।”धीरे-धीरे जहान का आत्मविश्वास लौटने लगा।वो अब सिर्फ पढ़ता नहीं,बल्कि सवाल पूछता,किताबों में खुद जवाब ढूँढता।उसकी