सहदेव ने साँस ली और दर्द को नजरअंदाज करते हुए धीरे-धीरे चारों ओर निगाह दौड़ाई। सड़क सुनसान थी, बस कहीं-कहीं धूमिल लाइटें और दुकानें बंद पड़ी थीं। लेकिन उसके सामने खड़े तीनों गुंडों की आँखों में मौत की ठंडक साफ झलक रही थी।“अब देखो, खेल खत्म होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा,” एक ने दहाड़ते हुए कहा और बंदूक के ट्रिगर पर उंगली रख दी।सहदेव ने थोड़ा पीछे हटते हुए मन ही मन योजनाबद्ध तरीके से सोचा। उसके हाथ में अब तक सिर्फ़ एक टूटी-फूटी रॉड थी और कंधे की चोट लगातार दर्द दे रही थी। लेकिन उसने महसूस किया