नज़र का अहसास

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सुबह का समय बहुत ही शांत और सुकून भरा था।नीहा अपने छोटे से रसोईघर में बच्चों के लिए नाश्ता बना रही थी।बच्चों की हँसी, चाय की खुशबू और बाहर से आती पंछियों की चहचहाहट ने उस पल को खास बना दिया था।जैसे ही घड़ी की सुई नौ बजे पर पहुँची, नीहा ने धीरे-धीरे पानी भरने के लिए बाहर कदम बढ़ाया।वो नर्म कदमों से नल की तरफ बढ़ी।ठीक उसी समय, अंशु पूजा के लिए जल लेने के लिए उसी नल की तरफ आया।नीहा ने चुपके से उसकी ओर देखा। ऐसे देखा, जैसे उनकी आँखें बिना बोले एक-दूसरे को समझ गई हों।अंशु