नेता, अमरता और खबर

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"नेता, अमरता और खबर"पुरानी चाय की दुकान। बाहर टूटी-फूटी लकड़ी की बेंच, ऊपर धूल भरा पंखा। चाय वाले के रेडियो पर धीमी आवाज़ में खबरें चल रही हैं – “माननीय नेता जी ने कहा, यह फैसला ऐतिहासिक है…”मैं और मजनू भोपाली कुल्हड़ चाय लेकर बैठे हैं। सामने ताश खेलने वाले चार पियक्कड़ और बगल में पान की पीक से सजी दीवार। राजनीति पर चर्चा का यही सही मंच है।मैं: मजनू मियां, आजकल अख़बार पलटकर देखो तो हर जगह सिर्फ नेताओं के ही चेहरे। मुझे तो ऐसा लगता है जैसे ये लोग भगवान से भी ज्यादा नेता “अमर” हो रहें हैं।मजनू: