नृसिंह अवतार की कथा करुणा, क्रोध और कल्याण की प्रतीक है। बहुत सहस्त्रों वर्ष पूर्व जब पृथ्वी ने पहली बार धड़कना शुरू किया था, ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, शिव ने संहार का दायित्व उठाया और नारायण ने पालन का संकल्प लिया। सतयुग की पहली सांस में ही धर्म की नींव रखी गई—सत्य, तप, शांति और न्याय के स्तंभों पर। लेकिन जब सृष्टि में संतुलन डगमगाया, अधर्म ने सिर उठाया और तब विष्णु ने अवतार धारण किया। यह कथा उन्हीं अवतारों में से एक की है, जो न पूरी तरह मनुष्य था, न पूरी तरह पशु। यह है नृसिंह