️ एपिसोड 10 : "परछाइयों की साज़िश और दिलों की पुकार" ⏳ दिलों की उलझी धड़कनें वह रात हवेली के भीतर जैसे हर कदम पर गूंजती जा रही थी। चारों – विवान, अनाया, रूहानी, काव्या और आर्यन – उस छुपे दरवाज़े से एक-एक कदम बढ़ा रहे थे। हवा में रहस्यमय गंध थी, और दीवारों की खामोशी कुछ अनकहे शब्दों की तरह कानों में गूँज रही थी। अनाया की हथेली अभी भी विवान के हाथ में थी। उसकी धड़कनें अचानक तेज़ हो गईं। वह सोच रही थी, "क्या सच के सामने जाने की हिम्मत रखने वाले हम सच