यह कहानी है रमन की। रमन एक कंपनी में चपरासी का काम करता था। वह अपने परिवार को पालने वाला अकेला था, उसकी आमदनी कम और खर्चे जायदा थे। उसकी बेटी भी अब शादी के लायक हो गई थी। वह हरदम इसी चिंता में रहता था कि वह अपनी बेटी की शादी कैसे करेगा। उसकी बेटी का रिश्ता पक्का हो गया था। वह खुश तो था लेकिन उसके पास शादी करवाने के लिए कोई बचत नहीं थी। लड़के वालों ने दहेज नहीं मांगा था फिर भी वह अपनी बेटी को कुछ तो देना चाहता था। वह इस बात को लेकर चिंतित