गोमती तुम बहती रहना - 17

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                      नदियों की तरह हम मनुष्यों के जीवन को भी नदी की बहती हुई धाराओं की तरह होना चाहिए | मंथर गति,कलकल निनाद ,अनुकूल धाराओं की तरह |किन्तु क्या ऐसा हो पाता है ? वर्ष 2007 के बाद मेरे और मेरी पत्नी के सहज जीवन की दशा और दिशा बदल सी गई |दोनों के जीवन में मानो कोई सैलाब सा आ गया था | पत्नी घोर डिप्रेशन में जाती रहीं | वर्षांत में मेरा आकाशवाणी अल्मोड़ा के लिए स्थानांतरण आदेश आ गया |असल में लखनऊ में मेरी पोस्टिंग के लगभग