अनुबंध - 5

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अनुबंध – एपिसोड 5 सुबह की हल्की धूप परदे के बीच से कमरे में आ रही थी।विराट की आदत थी हर दिन अलार्म से पहले ही उठ जाना—कड़क अनुशासन, बिल्कुल घड़ी की सुई जैसा।लेकिन आज... नींद उसकी आंखों में अटकी हुई थी।धीरे-धीरे उसने आंखें खोलीं और एक अजीब सन्नाटा महसूस किया।बिस्तर का दूसरा हिस्सा खाली था।सिल्क की चादर पर उसके बालों की खुशबू भी नहीं।उसका दिल अचानक धक् से हुआ।"अनाया?"उसने बिस्तर के पास देखा।ड्रॉअर खाली।अलमारी खुली।लेकिन कहीं उसका निशान नहीं।वो एक अजीब-सी बेचैनी में उठ खड़ा हुआ।कमरा चेक किया।डाइनिंग टेबल पर नहीं।गेस्ट रूम में नहीं।आँगन में नहीं।दिल में एक