चुपके चुपके… एक खामोश प्यार - 2

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Part 3 – इज़हार की घड़ीएक दिन कॉलेज के गार्डन में अचानक बारिश शुरू हो गई।सब लोग भागने लगे, पर गौतम और लक्षिता वहीं रुक गए।बरसात की बूंदें उन दोनों पर गिर रही थीं, और दिल की खामोशियाँ चीख-चीख कर कह रही थीं कि अब वक्त आ गया है।गौतम ने हिम्मत जुटाई और धीमे स्वर में बोला –"लक्षिता, शायद मैं शब्दों में अच्छा नहीं… पर जो एहसास है, वो सच्चा है। मैं तुम्हें चाहता हूँ, बहुत चाहता हूँ।"लक्षिता ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा और जवाब दिया –"मैं भी… बरसों से यही सुनना चाहती थी, गौतम।"बरसात में भीगी