अधूरी घंटी - 6

शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 6 : श्राप का वारिसहवेली के बाहर आते ही विवेक और बाबा ने चैन की साँस ली। उन्हें लगा कि अब सब खत्म हो गया है। लेकिन आरव की आँखों में छिपी नीली चमक उन्होंने नहीं देखी।गाँव लौटने के बाद आरव पहले जैसा सामान्य दिखने लगा। वह हँसता-बोलता, लोगों से मिलता और सबको यही यक़ीन दिलाता कि हवेली का श्राप खत्म हो गया।लेकिन रात में, जब सब सो जाते, तो उसके कमरे से घंटी की धीमी आवाज़ आती—"टन… टन… टन…"--- बाबा की शंकारामकिशन बाबा को चैन नहीं मिला। एक रात वे आरव के घर पहुँचे। खिड़की