शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 4 : मौत का सचआरव अब पहले जैसा नहीं रहा। उस रात के बाद से उसकी आँखों में हमेशा खालीपन रहता, जैसे उसकी आत्मा का कोई हिस्सा हवेली में अटक गया हो। गाँव वाले कहते—"इस पर हवेली का साया पड़ चुका है।"विवेक ने बहुत कोशिश की कि आरव को संभाले, लेकिन आरव की हालत बिगड़ती चली गई। वह बार-बार कागज़ पर वही मंत्र लिखता, बीच-बीच में एक ही शब्द दोहराता—"अधूरी… अधूरी…".आख़िर विवेक ने तय किया कि वह फिर से हवेली जाएगा और पूरा सच ढूंढेगा। उसने रामकिशन बाबा को मनाया कि वे उसके साथ चलें। पहले