शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 3 : अधूरी प्रार्थनाहवेली में उस रात आरव और विवेक ने जो देखा, उसने उनकी रूह तक हिला दी। घंटी की आवाज़ गूंज रही थी, दरवाज़ा अपने-आप बंद हो गया था और राधिका की आत्मा चीख रही थी—"अब तुम लौट नहीं पाओगे… हवेली ने तुम्हें अपना लिया है।"आरव ने टॉर्च जलाने की कोशिश की, पर बैटरी अचानक खत्म हो गई। कमरे में घुप्प अंधेरा और सिर्फ़ घंटी की गूंज—"टन…टन…टन…"विवेक डर से काँपने लगा। उसने आरव का हाथ पकड़कर कहा—"मैं यहाँ से जा रहा हूँ। यह सब पागलपन है। अगर तू रहना चाहता है तो रह, लेकिन