खामोश हवेली का राज़ - 2

  • 1.6k
  • 2
  • 717

खामोश हवेली का राज़रात गहराती जा रही थी। हवेली में फँसे अर्जुन की साँसें तेज़ हो चुकी थीं। लाल आँखों वाली औरत उसकी ओर बढ़ रही थी। अर्जुन ने काँपती आवाज़ में कहा—"मैं सच जानने आया हूँ, किसी का अपमान करने नहीं।"औरत अचानक ठहर गई। उसकी आँखों की चमक कुछ पल के लिए धुँधली पड़ी। उसने कहा—"सच जानने की कीमत देनी पड़ती है… मेरे दर्द को जानने वाला कोई भी इस हवेली से ज़िंदा नहीं गया।"अर्जुन ने हिम्मत जुटाई और डायरी उठाकर बोला—"अगर तुम सचमुच निर्दोष हो तो मैं तुम्हारी कहानी दुनिया तक पहुँचाऊँगा। तुम्हारी आत्मा को मुक्ति मिलेगी।"महिला