शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 2 : हवेली का श्रापआरव रातभर जागा रहा। उसकी आँखों में हवेली की परछाई और वह डरावनी घंटी बार-बार गूंज रही थी। वह तय नहीं कर पा रहा था कि यह सब उसका भ्रम था या कोई अदृश्य ताक़त वाकई उस हवेली में बसी हुई है। लेकिन उसके रिकॉर्डर में दर्ज घंटी की आवाज़ साफ़ बता रही थी कि उसने जो देखा-सुना, वह हकीकत थी।सुबह होते ही वह गाँव के बुजुर्ग रामकिशन बाबा के पास पहुँचा। बाबा से हवेली का ज़िक्र होते ही उनके चेहरे का रंग उड़ गया। बाबा ने कहा—"बेटा, उस हवेली का नाम