शीर्षक : "अधूरी घंटी"Part 1 : हवेली का रहस्यशहर से दूर, पुराने गाँव के कोने में एक हवेली थी, जिसे लोग “काली हवेली” कहते थे। वहाँ कभी किसी ज़मींदार का परिवार रहता था, लेकिन दशकों से वह वीरान थी। टूटी खिड़कियाँ, दरकती दीवारें और चारों तरफ़ फैली झाड़ियों ने उसे और भी डरावना बना दिया था।गाँव वालों का कहना था कि हर रात ठीक बारह बजे हवेली में घंटी बजती है। सबसे अजीब यह था कि हवेली में कहीं कोई मंदिर या घंटा मौजूद ही नहीं था। बच्चों को कड़े शब्दों में मना किया जाता कि वहाँ झाँकने भी न