यमलोक

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बहुत समय पहले, जब धरती, आकाश और अधोलोक अलग-अलग अस्तित्वों में बँटे हुए थे, तब यमलोक अपनी पूरी महिमा में विद्यमान था। यह लोक न केवल मृत्यु का स्थान था, बल्कि न्याय और कर्म का प्रतीक भी था। यमराज, मृत्यु के देवता, यमलोक के अत्यंत न्यायप्रिय शासक थे। उनका कार्य था प्रत्येक प्राणी के कर्मों का हिसाब रखना और उचित निर्णय देना।धरती पर एक नगर था, जिसका नाम “सौरावती” था। यह नगर अपने आप में शांत और समृद्ध था, लेकिन वहां के लोग कभी-कभी अपने स्वार्थ और लालच में बहकर गलत कार्य कर लेते थे। ऐसे ही नगर में एक