अध्याय 4 – छुपे हुए चेहरेआरव पूरी रात सो नहीं पाया। उसका दिमाग बार-बार उसी कांच के टुकड़े और धमकी वाले नोट पर अटक रहा था। कौन था जो उसके कमरे में घुसा? और क्यों उसने सबूत चुराने की बजाय उसे वापस रख दिया?सुबह होते ही उसने तय किया कि वह इस केस में अकेले नहीं चलेगा। उसे किसी ऐसे साथी की ज़रूरत थी जिस पर वह भरोसा कर सके।वह सीधा रजत के पास पहुँचा। रजत अख़बार के कैफेटेरिया में चाय पी रहा था। आरव उसके सामने बैठा और धीमे स्वर में बोला –“रजत, ये केस बड़ा है। मुझे शक