अनाथ का दिल अध्याय 1 : प्रेम का जन्म(भाग 03)डिनर की पहली शाम ___________________________________________________________________________________________प्रांगण की हल्की रोशनी अब धुंधली पड़ रही थी। सांस्कृतिक संध्या के बाद वादल को वर्षा के पिता ने व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया था। वह पहले तो संकोच में था, लेकिन उसकी आँखों में जिज्ञासा और भीतर की आत्मविश्वास की चमक थी।वर्षा भी उत्सुक थी, पर किसी तरह की सामाजिक गरिमा और शालीनता के बीच वह अपनी भावनाओं को छुपाए हुई थी। उसने अपने माता-पिता की ओर देखा और धीरे से सिर हिलाया।“चलो, अब चलते हैं,” उसके पिता ने कहा।