अध्याय 4: प्रेम की आहट – अनजाने एहसास दोनों के बीच की दोस्ती, जो कुछ समय पहले एक गलतफहमी की वजह से टूटने की कगार पर थी, अब एक बार फिर से जीवंत हो उठी थी। इस बार यह दोस्ती पहले से कहीं ज़्यादा गहरी थी, क्योंकि इसकी नींव विश्वास और एक-दूसरे के लिए सच्ची परवाह पर टिकी थी। अब उनकी मुलाकातें केवल एक-दूसरे को 'हाय' या 'बाय' कहने तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उनमें एक गहरा अपनापन और सुकून घुलने लगा था। जैसे ही शाम ढलती, वे दोनों अनजाने