अँधेरी रात थी, जब चाँद भी अपने आप को बादलों के पीछे छुपा रहा था। गाँव के लोग, अपनी-अपनी झोपड़ियों में डर से काँपते हुए, खामोश हो जाते थे। ये वो समय था जब पुरानी कहानियों से निकली आत्माएँ और प्रेत, हवा में नाचते थे, और पूरे गाँव में डर की एक लहर दौड़ जाती थी।उस अँधेरी रात में, मैं अर्णव, अपनी टीम के साथ एक पुराने और वीरान पड़े किले के पास, जहाँ एक पुरानी हवेली थी, डेरा डाले हुए था। हमारी टीम का मकसद था इस वीरान जगह का सर्वेक्षण करना।मेरे साथ मेरा दोस्त आलोक, जो भूतों पर