इच्छा का पुनर्जन्म

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रात असामान्य रूप से शांत थी। आधी खुली खिड़की से छनकर आती चाँदनी कमरे को चाँदी से नहला रही थी। दीया बिस्तर पर लेटी थी, उसकी साँसें धीमी थीं, आँखें अंतहीन आँसुओं से सूजी हुई थीं। उसका दिल टूटा हुआ था, उन लोगों ने कुचला था जिन पर वह सबसे ज़्यादा भरोसा करती थी—उसके पिता रंजीत कुमार, उसकी सौतेली माँ अंजलि, उसकी सौतेली बहन मीरा, और वह आदमी जिसे वह प्यार करती थी, तेजा।“मैं नहीं जाऊँगी, अविनाश। अभी नहीं, कभी नहीं। मैं तुम्हारी हूँ।”तेजा लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ा हुआ, उसका चेहरा अपमान से लाल हो गया। “दिया! यह