लघु उपन्यास यशस्विनी: अध्याय 16: हर अन्याय का कर प्रतिरोध, अबला नहीं तू सबला है अपने संदेश में यशस्विनी ने साधकों से कहा कि वे केवल योग साधक नहीं हैं। आवश्यकता होने पर उन्हें समाज की सेवा के लिए सार्वजनिक सेवा और सार्वजनिक क्षेत्र में भी उतरना होगा और लोगों की सहायता भी करनी होगी। योग, प्राणायाम, ध्यान ये सब केवल वैयक्तिक साधना तक ही सीमित नहीं होने चाहिए। इनका सही उपयोग जनता जनार्दन की सेवा में ही होना चाहिए। अपने उद्बोधन में रोहित ने साधकों से कहा कि लोग प्राचीन भारतीय विज्ञान की शिक्षा पाने वालों को ज्ञान