रीया की नई बेचैनीरिया शर्मा का जीवन पूरी तरह बदल चुका था। अस्पताल से वापस आने के बाद वह पहले जैसी नहीं रही थी। लाइब्रेरी की खामोशी में डूबी वह अब अपने कमरे में बैठकर अजीब-अजीब सपनों में खो जाती थी। हर रात उसे वही किताब दिखाई देती थी – पुरानी, धूल से ढकी, और अधूरी कहानी का पन्ना खुला हुआ। रिया ने कई बार खुद से पूछा – क्या सच में कुछ हुआ था? या यह सब उसके मन का भ्रम था?एक शाम रिया खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर हल्की बारिश हो रही थी। बूंदें जैसे उसकी