एपिसोड 4 : "अतीत की परछाईयाँ"️ रहस्यमयी सुबहअगली सुबह की हल्की रोशनी धीरे-धीरे अनाया के कमरे में फैल रही थी।वो खिड़की से बाहर देख रही थी। उसकी आँखें दूर तक बिखरी मुंबई की चमकती रोशनी में खोई थीं।लेकिन दिल के अंदर एक हल्की बेचैनी का अहसास था, जो उसे चैन से बैठने नहीं दे रहा था।उसके हाथ में वह पुरानी डायरी थी, जिसे उसने पिछले रात से खोल रखा था।पृष्ठ पलटते हुए उसके हाथ रुक गए। एक नया पन्ना खुला — खाली…पर उसके नीचे एक धुंधली लिखावट उभरने लगी — जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे लिखने को कह रही