शहर की हल्की रोशनी और बरसती बारिश के बीच, एक आलीशान अपार्टमेंट में साक्षी खिड़की के पास खड़ी थी। उसके हाथ में गिलास में बर्फीली वाइन थी, लेकिन उसका ध्यान बिल्कुल कहीं और था। उसके मन में उठते जज़्बात और अधूरी चाहतें उसे बेचैन कर रही थीं। जीवन की रंगीन दुनिया के बावजूद, उसके भीतर एक खालीपन था जिसे वह किसी के साथ बांटना चाहती थी, पर circumstances ने उसे रोक रखा था।कुछ ही कदम दूर, अपार्टमेंट के दूसरे कमरे में अकाश बैठा था। उसकी आँखों में भी वही अधूरी चाहत झलक रही थी। दोनों की नज़रों का मिलन अक्सर