जब विश्वास ही गुनाह बन जाए - 3

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अध्याय 3: दोस्ती की नींव – विश्वास की डोरसमय का पहिया अपनी गति से आगे बढ़ता रहा और दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी में अर्जुन और स्मिता की दुनिया सिमटकर एक-दूसरे में सिमटने लगी थी।                         लाइब्रेरी की चौखट पर शुरू हुई एक साधारण-सी बातचीत अब रोज़ाना की आदत बन गई थी। किताबों, नोट्स और सपनों की बातें करते-करते अर्जुन और स्मिता की दोस्ती की एक मजबूत नींव पड़ चुकी थी। अर्जुन, जो खुद को इस बड़े शहर की भीड़ में अकेला और गुमशुदा महसूस करता था, अब उसके चेहरे