इच्छाधारी शेरनी का बदला - भाग 8

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इच्छाधारी शेरनी का बदला – भाग 8️ लेखक – विजय शर्मा एरी---मेला और खौफगाँव के पास सालाना मेला लगा था। ढोल-नगाड़ों की आवाज़, झूले की चमकती रोशनियाँ, दुकानों पर लगी मिठाइयों की खुशबू… हर तरफ़ उत्साह था। लेकिन इस उत्साह के बीच उन आठ बचे हुए शिकारी लगातार बेचैनी महसूस कर रहे थे।उनकी नज़रें बार-बार जंगल की ओर उठ जातीं। उन्हें लगता जैसे अँधेरे से कोई उन्हें घूर रहा हो।आठवाँ शिकारी (धीमे स्वर में):“ये शेरनी हमें जंगल तक ही सीमित नहीं रखेगी। अब ये हमारे बीच आएगी… देख लेना।”बाकी शिकारी उसकी बात सुनकर काँप गए। भीड़-भाड़ में वे सुरक्षित समझते