चंद्रनंदिनी - भाग 7

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सुबह का समय है, मौसम सुहावना है, चिड़ियां चहचहा रही है, महाराज रूद्र प्रताप सिंह के माथे पर चिंता की लकीरें साफ साफ दिखाई दे रही है, देखने पर लगता है, कि रात भर सोए नहीं हैं....तभी राजगुरु का आगमन होता है...रुद्र प्रताप सिंह :- प्रणाम गुरु जी।राज गुरु :- क्या बात है महाराज? आप बड़े चिंतित नजर आ रहे हैं....रुद्र प्रताप सिंह :- आप तो जानते हैं गुरुदेव, वीर प्रताप सिंह का अभी तक कोई पता नहीं चला है, हमारे सारे गुप्तचर लौट कर वापस आ गए।राज गुरु :- महाराज, जहां तक हम कर सकते हैं, हमने कोई कसर