शहीद की विधवा - सीजन 1 - भाग 4

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     मुझे मेरे कानों में किसी के बुदबुदाने (धीमी-धीमी आवाज में खुद अपने आप से बात करना) की आवाज आ रही थी।   मैंने पलट कर देखा तो ऋचा अपने आप मे खुद ही कुछ कुछ बोले जा रही थी और अपनी आँखों को पोछते जा रही थी।   मैने अपने मन ही मन में सोचा कि किसी महिला का पुत्र और किसी नवविवाहिता के पति का अभी अभी निधन हुआ हो वो भला कैसे सयंम रख सकते हैं तब भी मैंने उनकी बातों एवं सिसकियों को अनसुना करते हुए ऋचा जी से पूछा कि शक्कर और चायपत्ती कहाँ हैं।