इच्छाधारी शेरनी का बदला – भाग 7️ लेखक – विजय शर्मा एरी---गाँव की सीमा के पास अँधेरा उतर चुका था। पेड़ों की छायाएँ जमीन पर लम्बी होती जा रही थीं और एक अजीब-सी खामोशी पूरे वातावरण में फैली थी। चारों ओर ऐसा लगता था मानो जंगल खुद साँस रोककर किसी घटना की प्रतीक्षा कर रहा हो।शिकारी दल के अब सिर्फ नौ सदस्य बचे थे। पहले छह शिकारी शेरनी के प्रकोप का शिकार हो चुके थे। अब सबके चेहरों पर भय की गहरी रेखाएँ थीं। वे बार-बार एक-दूसरे की ओर देखते और फुसफुसाकर कहते—पहला शिकारी (काँपती आवाज़ में):“यकीन मानो, ये शेरनी