Chapter 5रात गहरी थी। बाहर हवा पेड़ों से टकराकर सरसराहट पैदा कर रही थी।अचानक, एक डरावनी चीख ने खामोशी को तोड़ दिया।मैं (जाचु) अचानक डर के मारे नींद से उठ बैठी। दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।ये कैसी आवाज़ थी?… अब भी धीमे-धीमे सुनाई दे रही है।उसी वक़्त दरवाज़ा तेज़ी से खुला।रवि भागते हुए अंदर आया—“जाचु! क्या हुआ? तुम ठीक हो?”मैं उसकी तरफ़ देखते ही सन्न रह गई।उसकी आँखें लाल थीं, और नीचे काले घेरे गहरे हो चुके थे। जैसे वो पूरी रात सोया ही न हो।“भाई… तुम्हें क्या हुआ? क्या रात भर सोए नहीं?” मैंने घबराकर पूछा।रवि ने जल्दी