इतना तो चलता है, कितना चलता है भाई, क्यों हम लड़कियों को हर जगह चुप रहने को मजबूर किया जाता है, यह जिव्हा जो हमें मिली हैं क्या उसका इस्माल केवल हमें ना ओर हा के लिए करना है।अपनी आवाज उठाओ जहां तूने लगे वार तुम्हारे चरित्र पर हो रहा है, तुम्हारे आत्मसम्मान का चीरहरण किया जा रहे वहां वहां अपनी आवाज को बुलंद करो और भागवत का चूड़ा पहनो अपने हाथ में।चुप रहो पर जहां जरूरी हो,ओर बोलो जहां जरूरी हो,कर आवाज को अपनी बुलंद,क्यों कि तू कोई कठपुतली नहीं,तेरे पास अपनी सोच है ओर तेरी शिक्षा तेरा धनुष