भाग 1 – अजीब कॉलरात के 11 बजे आदित्य अपने ऑफिस से घर लौट रहा था। रास्ता सुनसान था और चारों ओर हल्की धुंध छाई हुई थी। अचानक उसका फोन बजा—“अगर ज़िंदा घर पहुँचना चाहता है… तो पीछे मत देखना।”आवाज़ अजनबी थी और काँपती हुई भी। आदित्य का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसने हिम्मत करके रियर-व्यू मिरर में देखा—एक काली परछाई उसकी कार के पीछे झलक रही थी।---भाग 2 – वीरान मकानघबराया हुआ आदित्य कार रोकता है तो देखता है कि सामने एक टूटा-फूटा पुराना मकान है। दरवाज़ा अपने आप चरमराकर खुलता है। मानो उसे अंदर बुला भाग 1 – अजीब