प्रकाशस्तंभ की यादेंउस रात, प्रकृति ने अपना भयानक रूप दिखाया। तूफ़ान ने मानो अपनी सारी शक्ति तट पर झोंक दी थी। लहरें, विशालकाय दैत्यों की तरह, गड़गड़ाती हुई चट्टानों से टकरा रही थीं और आसमान में बिजली की रेखाएँ इस तरह कौंध रही थीं, जैसे कोई अदृश्य शक्ति काँच के विशाल टुकड़ों को तोड़ रही हो। बारिश की धारें इतनी मोटी थीं कि दूर कुछ भी साफ़-साफ़ देखना मुमकिन नहीं था। हवा की चीख़, लहरों के शोर और बादलों की गड़गड़ाहट ने मिलकर एक ऐसा भयानक संगीत रचा था, जिसे सुनकर रूह काँप जाए।आरव, एक युवा यात्री, जिसने रोमांच और