पहली मुलाकात - अध्याय 6

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अध्याय 6 – गहराइयों का सामनाकॉलेज की हलचल अब मुकुंद के लिए धीरे-धीरे सामान्य होने लगी थी। सुबह की क्लास, लाइब्रेरी में लंबे घंटे, हॉस्टल के शोर-गुल और कैंपस की भीड़—सब उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुके थे। लेकिन इस दिनचर्या की सतह के नीचे एक गहरी बेचैनी लगातार उसे कुरेदती रहती थी। हर दिन वह मुस्कुराकर सुदीप और बाकी दोस्तों से बातें करता, क्लास में ध्यान लगाने की कोशिश करता, लेकिन रात को जब अकेले बिस्तर पर लेटता, तो अंधेरे में उसे सिर्फ़ अपनी माँ का चेहरा और पिता की झुकी हुई कमर दिखाई देती।पिता की ज़मीन बेमौसम बरसात