आख़िरी ट्रेन की फुसफुसाहटें

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"क्या हो अगर आख़िरी ट्रेन… कभी आपको वापस न लाए?आर्यन आधी रात की ट्रेन में सवार होता है, लेकिन जल्द ही उसे अहसास होता है कि उसके यात्री ज़िंदा नहीं हैं—और उसका ठिकाना किसी नक़्शे पर नहीं मिलता। यह है एक सिहरन भरी कहानी—रहस्यों की, ज़िंदा रहने की जद्दोजहद की और उन फुसफुसाहटों की जो आत्मा को अपने साथ खींच सकती हैं।आख़िरी ट्रेन की फुसफुसाहटेंआर्यन ने आधी रात के सुनसान स्टेशन पर कदम रखा। ठंडी हवा उसके गालों पर चोट कर रही थी और हल्की बारिश की बूँदें उसके काले जैकेट पर गिर रही थीं। स्टेशन पर सन्नाटा था—केवल कभी-कभार