(सनी के बलिदान और निशा के कोमा में जाने के बाद परिवार बिखर जाता है। आद्या अपने पिता की मौत का बदला लेने का संकल्प लेती है। अतुल्य नागस्वरूप में लौटकर जिम्मेदारी उठाता है, लेकिन भीतर अपराधबोध लिए रहता है। अस्पताल और घर की खामोशी में आद्या सवालों से जूझती है—तांत्रिक का उनके परिवार से क्या संबंध है, और भैया को अपनी नागशक्ति की याद क्यों नहीं? नागलोक में गुरु और नागजन आद्या व सनी के बलिदान को श्रद्धांजलि देते हैं, जबकि नागरानी मन ही मन इस महिमा से विचलित होती है।)अतुल्य हुआ गायबतांत्रिक ने मंत्रोच्चारण से गरुड़ को लोहे