(आद्या अपनी माँ को बचाने के लिए तांत्रिक का सामना करती है। गरुड़ राख उस पर असर नहीं करती और वह अतुल्य व सनी की मदद करती है। तांत्रिक अतुल्य पर घातक मंत्र चला देता है पर उसे बचाते हुए सनी की मृत्यु हो जाती है। निशा गहरे सदमे से कोमा में चली जाती है। परिवार बिखर जाता है, पर अतुल्य इंसानी रूप में लौटकर जिम्मेदारी उठाता है। श्मशान घाट पर आद्या और अतुल्य मिलकर सनी का अंतिम संस्कार करते हैं। आद्या मन ही मन संकल्प लेती है कि पिता की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी और वह तांत्रिक से बदला