परिचयमेरा नाम "कबीर" है। मैं देहरादून का रहने वाला हूँ और यहाँ कॉलेज में साहित्य की पढ़ाई कर रहा हूँ। लोग कहते हैं मैं थोड़ा अलग हूँ—कम बोलता हूँ, ज़्यादा लिखता हूँ। मेरी दुनिया किताबों, कविताओं और ख्वाबों में ही बसती है। लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मेरी किताबों के बीच कोई ऐसा चेहरा आ जाएगा…जो मेरी हर कविता, हर ख्वाब की सच्चाई बन जाएगा।पहली मुलाक़ातलाइब्रेरी की वो बरसाती शाम…बाहर आसमान रो रहा था और अंदर मैं किताबों के बीच खोया हुआ था।तभी दरवाज़ा खुला और वो आई— "सायरा"।उसके भीगे बाल, घबराई साँसें और फिर वो मुस्कान—जैसे