बूंदों में छुपा प्यार - 9

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जानवी ने विराज की डायरी को कई बार पढ़ा। हर बार एक नई बात समझ आई।  > “मैंने तुम्हें कभी छोड़ा नहीं, बस खुद से लड़ता रहा।”उसने खुद से पूछा — क्या विराज की खामोशी में सचमुच प्यार था?  क्या वो डर था या मोहब्बत की गहराई?उस रात बारिश हो रही थी। जानवी ने अपनी माँ की पुरानी साड़ी पहनी — वही जो विराज को पसंद थी। वो मंदिर की ओर निकल पड़ी — जहाँ विराज अक्सर अकेले बैठा करता था।---विराज वहीं बैठा था — मंदिर की आखिरी सीढ़ी पर।  उसके हाथ में जानवी का दिया हुआ कड़ा था।  उसने आँखें बंद कीं और