जानवी ने विराज की डायरी को कई बार पढ़ा। हर बार एक नई बात समझ आई। > “मैंने तुम्हें कभी छोड़ा नहीं, बस खुद से लड़ता रहा।”उसने खुद से पूछा — क्या विराज की खामोशी में सचमुच प्यार था? क्या वो डर था या मोहब्बत की गहराई?उस रात बारिश हो रही थी। जानवी ने अपनी माँ की पुरानी साड़ी पहनी — वही जो विराज को पसंद थी। वो मंदिर की ओर निकल पड़ी — जहाँ विराज अक्सर अकेले बैठा करता था।---विराज वहीं बैठा था — मंदिर की आखिरी सीढ़ी पर। उसके हाथ में जानवी का दिया हुआ कड़ा था। उसने आँखें बंद कीं और