उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक

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रात का अंधेरा गहराता जा रहा था। बाहर सन्नाटा पसरा था, लेकिन मेरे भीतर एक अजीब-सी हलचल थी। हाथों में चाय का प्याला और सामने टिमटिमाती स्क्रीन—जहाँ शुरू हो रही थी एक ऐसी कहानी, जिसने सिर्फ़ सिनेमा नहीं, पूरे हिंदुस्तान का आत्मसम्मान जगाया था।“उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक।”पहला असरफिल्म की शुरुआत में ही दिल कसक उठा। सीमाओं पर बैठे जवान, जिनकी आँखों में न थकान थी, न शिकायत—सिर्फ़ मुल्क की हिफ़ाज़त का जुनून। और फिर वो मनहूस मंजर, जब आतंकियों का हमला होता है और हमारे कई जवान शहीद हो जाते हैं। उस दृश्य ने दिल के भीतर ऐसा दर्द भरा