एक विमान जो 1955 में उड़ान भरता है, लेकिन गंतव्य तक कभी नहीं पहुँचता। परदे के पीछे छिप जाता है, मानो आसमान ने उसे निगल लिया हो। यात्री और पायलट – सब रहस्यमयी ढंग से गायब। तीन दशक बाद अचानक 1985 में वही विमान प्रकट होता है, वही पुराने कपड़े, वही चेहरे और वही उलझन कि आखिर यह कौन सा साल है। पायलट टावर से कहता है – “हम तो 1955 से उड़ान भर रहे हैं…” और कुछ ही पलों में विमान फिर आसमान में ग़ायब हो जाता है।क्या यह समय यात्रा थी? किसी रहस्यमयी सुरंग का खेल? या सिर्फ