--- अधूरा सपना अरुण बचपन से ही चित्रकारी का शौक़ीन था। जब भी उसे कागज़ और रंग मिलते, वह अपनी छोटी-सी दुनिया बना लेता। गाँव के मेले में लोग उसकी बनाई तस्वीरें देखकर चकित रह जाते। पिता किसान थे और चाहते थे कि बेटा उनकी तरह खेतों में हाथ बँटाए, लेकिन अरुण के सपनों में रंगों का संसार बसता था।एक दिन स्कूल में पेंटिंग प्रतियोगिता हुई। अरुण ने पूरे मन से एक चित्र बनाया—गाँव की हरियाली, खेलते बच्चे और सूरज की सुनहरी किरणें। उसकी पेंटिंग को पहला स्थान मिला। पुरस्कार में उसे ब्रश और रंगों का बड़ा डिब्बा मिला। उस