जो न मिला जिंदगी में ?

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कुछ ही मिनटों में ट्रेन लखनऊ से चलने ही वाली थी,कि तभी एक जाना-पहचाना सा चेहरा आकर ठीक मेरे बगल में, विंडो के पास वाली सीट पर बैठ गया,इस तरह उसका यहां मिलना एक इत्तेफाक ही था, वो हवा के झोंके की तरह आया और मेरे बगल वाली सीट पर बैठ गया,न मेरे तरफ देखा,न पहचानने की कोशिश की,मैने कनखियो से नज़र बचाकर उसे देखा और बिल्कुल कंफर्म हो गई ।ये वहीं है.... रोल नंबर 22,अमन शर्मा,जगदम्बा हाइस्कूल में मेरे साथ पढ़ने वाला लड़का,जो अब आदमी बन चुका था, मै लगभग 25 सालों बाद उसे देख रही थी,उसकी शक्ल सूरत