में और मेरे अहसास - 133

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वक्त  बर्फ का घना बादल जल्द ही बिखर जाएगा l सूर्य यहां नहीं आया तो वो किधर जाएगा ll   वक्त कभी भी कहीं भी ठहरता नहीं है तो l सोचा ना कर ये लम्हा भी गुजर जाएगा ll   डाली कभी नहीं अफसोस करती के कैसे l सुखा हुआ पत्ता अपनेआप उतर जाएगा ll   जानेवाले कभी पीछे मुड़कर देखा नहीं करते l उम्मीद ना कर के मुसाफ़िर ठहर जाएगा ll   आधुनिकता की दौड़ में शामिल होने के लिए l गाँव से भागा भागा सा इन्सां शहर जाएगा ll १६-८-२०२५   महफिल महफिल में दिवाने आने लगे हैं