सीढ़ियों के नीचे पड़े लाल कपड़े में लिपटे शव को देखते ही नंदिनी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसके होंठ कांपने लगे, आँखों में डर साफ़ झलक रहा था।“हे भगवान… ये कौन हो सकता है?”उसका मन मानो जवाब चाहता था लेकिन शरीर में इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि आगे बढ़कर कपड़ा उठाए। हवा और तेज़ बह रही थी, खिड़कियाँ बार-बार धमाके से बंद हो रही थीं, जैसे पूरा घर इस राज़ को छुपाना चाहता हो।लेकिन नंदिनी जानती थी कि अब पीछे हटना संभव नहीं। उसने काँपते हाथों से धीरे-धीरे शव के ऊपर से लाल कपड़ा उठाया।जैसे ही चेहरा