खून का टीका - भाग 13

रात का सन्नाटा अब और भी गहरा हो चुका था। हवाएँ तेज़ चल रही थीं, खिड़कियों से टकराकर अजीब सी सीटी जैसी आवाज़ निकाल रही थीं। नंदिनी अपने कमरे में बैठी बार-बार उस खून से सने टीके को याद कर रही थी जो उसने मंदिर में देखा था। उसका मन बार-बार यह सोचकर सिहर उठता कि आखिर ये सब कौन कर रहा है और क्यों?उसकी आँखों के सामने बार-बार वही दृश्य कौंध जाता – लाल खून, पवित्र जगह पर लगा टीका और उस पर लिखे रहस्यमयी शब्द। नंदिनी का मन डर और बेचैनी से भर गया। वह सोच रही थी