जब विश्वास ही गुनाह बन जाए - 1

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अध्याय 1 : प्रस्तावना – टूटा हुआ अतीत, नए सपनों की शुरुआत                      वह समय अर्जुन की ज़िंदगी का नया मोड़ था जब वह गांव की मिट्टी से निकलकर वह भोपाल जैसे बड़े शहर में MBA की पढ़ाई करने आया था। गाँव की सादगी और भोपाल की चकाचौंध में ज़मीन-आसमान का अंतर था, जहा गाव मे अनजाने से भी अपनत्व का भाव आता था वही शहर मे अपने भी पराए से हो जाते है ।